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उत्तराखण्ड आंदोलन के दौरान
उत्तराखण्ड आंदोलन के दौरान
“कोदा-झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे”
आजकल
''बल दारू,मुर्गा खाएंगे अयोग्य उम्मीदवार को जिताएंगे''
आपदा आने पर पछताएंगे।
उत्तराखण्ड आंदोलन के दौरान हर पहाड़ी आंदोलनकारियों की जुबां पर यही नारा हुआ करता था-''कोदा-झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे''
मेरी दृष्टि में यह नारा उस समय की तत्कालीन उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार तथा उन नेताओं के लिए जो पृथक उत्तराखण्ड राज्य की मांग का विरोध कर रहे थे के लिए यहां के निवासियों द्वारा एक चेतावनी थी कि भले ही हम केवल और केवल अपने खेतों की फसलों से ही गुजारा कर लेंगे,भले ही हमें भूखा रहना पड़े पर हम अपना अलग पहाड़ी राज्य लेकर रहेंगे।
कैसे रहे होंगे वो कर्मठ,जुझारू,योग्य,ईमानदार गांवों-गांवों से आने वाले आंदोलनकारी जिन्होंने अपने कड़े परिश्रम से,लम्बे संघर्ष और बलिदानों से इस सुन्दर पहाड़ी राज्य की नींव रखी।
किसी भी आंदोलन की सफलता जन समर्थन,जागरुकता,साक्षरता पर ही टिकी होती है उस समय तो अधिक से अधिक लोग पहाडों में ही रहते थे और साक्षरता दर भी अधिक नही थी।
आज के समय के हिसाब से यह काम संभव नही था जबकि आज साक्षरता दर बहुत अधिक है परन्तु पलायन के कारण जन समर्थन नही। आज की स्थिति के हिसाब से एक योग्य,ईमानदार उम्मीदवार की राजनीति में जीत संभव नही है अगर उसके पास धन-बल नही है और कोई योग्य,शिक्षित,ईमानदार और साधारण व्यक्ति इसकी कल्पना भी नही कर सकता।
बल दारू,मुर्गा खाएंगे अयोग्य उम्मीदवार को जिताएंगे और अब उम्मीद कर रहे हैं कि हमारी मूलभूत सुविधाओं सड़क,बिजली, पानी इत्यादि का तेजी से विकास हो।
हाथन व्हिस्की पिलाइ फूलन पिलाइ रम...... आदरणीय श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी का आज की चुनाव परिस्थितियों पर बहुत शानदार रचना।
आपके जनप्रतिनिधि जो पहले से ही धन के बल पर आपका कीमती वोट खरीद चुके हैं उनसे आप कैसे विकास और सहायता की उम्मीद कर सकते हैं।
कोरोना संकट में पहाड़ लौट रहे कुछ लोग और उनके परिजन शिकायत कर रहे हैं कि हमारे लिए क्वारंटीन केंद्रों में ये सुविधा उपलब्ध नही है वो सुविधा उपलब्ध नही है हमारे जनप्रतिनिधि प्रधान से लेकर सांसद तक कुछ नही कर पा रहे हैं अलाड़ा-फलाणां।
मैं उनसे पूछता हूँ क्या आपने कभी पहाड़ों के विकास को लेकर कोई जनान्दोलन का समर्थन किया,क्या आपने कभी पहाड़ों में किसी भी प्रकार का रोजगार,खेती-बाड़ी कर रहे लोगों का प्रोत्साहन किया,कभी भी गांवों के विकास को लेकर गंभीरता से विचार किया। ऐसे अनेकों सवाल है।
क्षेत्र का विकास भी जनसंख्या और जागरुकता पर निर्भर करता है।
जब पलायन के कारण जनसंख्या व जागरूकता ही नही होगी तो वोट बैंक के लालची नेता क्यों विकास कार्यों की ओर ध्यान देंगे।
क्वारंटीन केंद्रों में रह रहे भाइयों और बहनों गांव वाले लोग अपने स्तर पर आप लोगों के लिए बेहतरीन सुविधाएं जुटा रहे हैं उनसे जितना हो पा रहा है वह कर रहे हैं आप लोग शांति बनाए रखे कोई यह नही चाहता कि आप लोग ऐसी परिस्थितियों में रहे,यह अलग रखने का प्रबंध समाज के हित में है,आप लोग भी और पहाड़ो के सभी लोग भी आपके स्वस्थ स्वास्थ्य की कामना करें और करते हैं। संकट की इस घड़ी में गांव वाले नेताओं और सरकारों से बेहतर कार्य कर रहे हैं राजनीति से ऊपर उठकर सही संवाद बनाये रखें।
मां भगवती कालिंका मां भगवती नन्दा-सुनन्दा से प्रार्थना करते हैं कि इस कोरोना जैसी विश्वव्यापी समस्या का जल्दी से जल्दी समाधान निकले।
धन्यवाद
Jagmohan Patwal
Village-Thabriya Malla