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ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।।
1. जयंती सर्वोत्कर्षेण वर्तते इति ‘जयंती सबसे उत्कृष्ट एवं विजयशालिनी देवी जयंती हैं।
2. मंगंल जननमरणादिरूपं सर्पणं भक्तानां लाति गृहणाति या सा मंगला मोक्षप्रद जो अपने भक्तों को जन्म-मरण आदि संसार-बंधन से दूर करती है, उन मोक्षदायिनी मंगलदेवी का नाम मंगला है।
3. कलयति भक्षयति प्रलयकाले सर्वभ् इति काली- जो प्रलयकाल में संपूर्ण सृष्टि को अपना ग्रास बना लेती है, वह काली है।
4. भद्रं मंगलं सुखं वा कलयति स्वीकरोति भक्तेभ्योदातुम् इति भद्रकाली सुखप्रद जो अपने भक्तों को देने के लिए ही भद्र सुख या मंगल स्वीकार करती है, वह भद्रकाली है।
5. जिन्होंने हाथ में कपाल तथा गले में मुण्डों की माला धारण कर रखी है, वह कपालिनी है।
6. दु:खेन अष्टड्गयोगकर्मोपासनारूपेण क्लेशेन गम्यते प्राप्तते या- सा दुर्गा- जो अष्टांगयोग, कर्म एवं उपासना रूप दु:साध्य से प्राप्त है, वे जगदंबा ‘दुर्गा ’ है।
7. क्षमते सहते भक्तानाम् अन्येषां वा सर्वानपराघशान् जननीत्वेनातिशय-करुणामयस्वभावदिति क्षमा- संपूर्ण जगत् की जननी होने से अत्यंत करुणामय स्वभाव होने के कारण (क्योंकि माँ करुणामय होती है।) जो भक्तों को एवं दूसरों के भी अपराध क्षमा करती हैं, ऐसी देवी का नाम ही क्षमा है।
8. जिस प्रकार नाम वैसे ही भगवती का कार्य है। सबका कल्याण (शिव) करने वाली जगदम्बा को शिवा कहते हैं।
9. संपूर्ण प्रंपञ्च धारण करने वाली भगवती का नाम धात्री है।
10. स्वाहा रूप में (भक्तों से) यज्ञ भाग ग्रहण करके देवताओं का पोषण करने वाली देवी स्वाहा है।
11. श्राद्ध और तर्पण को स्वीकार करके पितरों का पोषण करने वाली भगवती स्वधा है।
इस प्रकार अनेक रूपों में भगवती भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करती हैं। मनुष्य ने उनकी आराधना अनेक प्रकार से करना चाहिए। भगवती को बारम्बार नमस्कार करना चाहिए ।